Monday, July 13, 2015

मैथ्यू 3

1 उन दिनों योहन बपतिसमा देनेहारा आके यिहूदिया के जंगलमें उपदेश करने लगा .
2 और कहने लगा की पश्चात्ताप करो क्योंकि स्वर्गका राज्य निकट आया है ।
3 यह वही है जिसके विषयमें यिशैयाह भविष्यद्वक्ताने कहा किसी का शब्द हुआ जो जंगलमें पुकारता है की परमेश्वरका पन्थ बनाओ उसके राजमार्ग सीधे करो ।
4 इस योहनका वस्त्र ऊंटके रोमका था और उसकी कटिमें चमड़ेका पटुका बंधा था और उसका भोजन टिड्डियां और बन मधु था ।
5 तब यिरूशलीमके और सारे यिहूदियाके और यर्दन नदीके आसपास सारे देशके रहनेहारे उस पास निकल आये .
6 और अपने अपने पापोंको मानके यर्दनमें उससे बपतिसमा लिया ।
7 जब उसने बहुतेरे फरिशीयों और सदुकियोंको उससे बपतिसमा लेनेको आते देखा तब उसने कहा हे सांपोंके बंश किसने तुम्हें आनेवाले क्रोधसे भागनेको चिताया है ।
8 पश्चात्तापके योग्य फल लाओ ।
9 और अपने अपने मनमें यह चिन्ता मत करो कि हमारा पिता इब्राहीम है क्योंकि मैं तुमसे कहता हूं कि ईश्वर इन पत्थरोंसे इब्राहीमके लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है ।
10 और अब भी कुल्हाड़ी पेड़ोंकी जड़पर लगी है इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं फलता है सो काटा जाता और आगमें डाला जाता है ।
11 मैं तो तुम्हें पश्चात्तापके लिये जल में बपतिसमा देता हूं परन्तु जो मेरे पीछे आता है सो मुझसे अधिक शक्तिमान है मैं उसकी जूतियां उठानेके योग्य नहीं वह तुम्हें पवित्र आत्मामें और आगमें बपतिसमा देगा ।
12 उसका सूप उसके हाथ में है और वह अपना सारा खलिहान शुद्ध करेगा और अपने गेहूंको खत्तेमें एकट्ठा करेगा परन्तु भूसीको उस आगसे जो नहीं बुझती है जलावेगा ।
13 तब यीशु योहनसे बपतिसमा लेनेको उस पास गालीलसे यर्दनके तीरपर आया ।
14 परन्तु योहन यह कहके उसे बर्जने लगा कि मुझे आपके हाथसे बपतिसमा लेना अवश्य है और क्या आप मेरे पास आते हैं ।
15 यीशुने उसको उत्तर दिया कि अब ऐसा होने दे क्योंकि इसी रीतिसे सब धर्म्मको पूरा करना हमें चाहिये . तब उसने होने दिया ।
16 यीशु बपतिसमा लेके तुरन्त जलसे ऊपर आया और देखो उसके लिये स्वर्ग खुल गया और उसने ईश्वरके आत्माको कपोतकी नाईं उतरते और अपने ऊपर आते देखा ।
17 और देखो यह आकाशवाणी हुई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे मैं अति प्रसन्न हूं ।

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